खौफनाक मंजर की दहलीज़ पर कैराना यमुना के कहर से दहशत का आलम”
“खौफनाक मंजर की दहलीज़ पर कैराना यमुना के कहर से दहशत का आलम”
-हथिनीकुंड से छोड़ा गया 3.29 लाख क्यूसेक पानी
Puneet Goel

कैराना। पहाड़ी और मैदानी इलाकों में लगातार बरसात ने यमुना नदी का मिज़ाज रौद्र कर दिया है। हथिनीकुंड बैराज से सोमवार को 3.29 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जो इस साल का सबसे बड़ा डिस्चार्ज है। कैराना में यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है और सोमवार रात तक खतरे का निशान पार करने की आशंका है। प्रशासन ने हाईअलर्ट घोषित कर दिया है और सभी बाढ़ चौकियों को चौकस निगरानी बढ़ाने के निर्देश जारी कर दिए हैं।
रिकॉर्ड डिस्चार्ज, हर घंटे बढ़ा दबाव
सुबह 8 बजे 3,11,032 क्यूसेक, 10 बजे 3,21,635 क्यूसेक, 12 बजे 3,23,180 क्यूसेक और 2 बजे 3,03,519 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। सुबह 9 बजे सबसे ज्यादा 3,29,313 क्यूसेक पानी यमुना में छोड़ा गया। यह प्रवाह 22 से 24 घंटे में कैराना पहुंचेगा और तबाही मचा सकता है।
खतरे के निशान की ओर बढ़ता जलस्तर
कैराना में सोमवार सुबह यमुना 230.00 मीटर पर बह रही थी। चेतावनी बिंदु 231.00 मीटर और खतरे का निशान 231.50 मीटर पर है। अधिकारियों के मुताबिक सोमवार रात तक जलस्तर खतरे की सीमा पार कर सकता है।
किसानों और ग्रामीणों की धड़कनें तेज
खादर क्षेत्र में फसलें जलप्रलय के साये में हैं। गांव खुरगान, सहपत और खडका के किसानों ने आशंका जताई है कि अगर पानी इसी तरह बढ़ा तो धान और गन्ने की पूरी फसल चौपट हो जाएगी।
गांव खुरगान के किसान इरशाद का कहना है—
“पिछली बार भी हमारी फसलें यमुना में डूब गई थीं, इस बार भी वही खतरा मंडरा रहा है। अगर पानी खेतों में भर गया तो हमारा सब कुछ खत्म हो जाएगा।”
सहपत गांव के बुजुर्ग किसान रामपाल सिंह बोले—
“सरकार मुआवजा तो देती है, लेकिन फसलें बर्बाद होने के बाद किसान की हालत कौन समझेगा? रात भर नींद नहीं आती, हर घंटे डर है कि यमुना का पानी गांव में घुस जाएगा।”
प्रशासन अलर्ट, तहसीलदार का बयान
तहसीलदार कैराना अर्जुन चौहान ने कहा—
“हथिनीकुंड बैराज से छोड़े गए पानी के चलते कैराना क्षेत्र पर खतरा मंडरा रहा है। सभी चारों बाढ़ चौकियों को अलर्ट कर दिया गया है। यमुना किनारे ग्रामीणों को न जाने की सख्त हिदायत दी गई है। प्रशासन किसी भी विषम परिस्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।”
खौफनाक रात की आहट
यमुना का जलस्तर बढ़ने से तटवर्ती गांवों में दहशत है। खेत-खलिहानों से लेकर कच्चे मकानों तक हर तरफ बेचैनी का आलम है। लोग रात को छतों पर चढ़कर नदी के उफान पर नजर गड़ाए हुए हैं। खौफनाक मंजर का अंदेशा हर गुजरते घंटे के साथ और गहराता जा रहा है।

















































